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Que : 721. निम्नलिखित गद्यांश की सतसंग व्याख्या लिखिए :

संस्कृति के नाम से जिस कूड़े-करकट के ढेर का बोध होता है, वह न संस्कृति है न रक्षणीय वस्तु । क्षण-क्षण परिवर्तन होने वाले संसार में किसी भी चीज को पकड़कर बैठा नहीं जा सकता । मानव ने जब-जब प्रज्ञा और मैत्री से किसी नए तथ्य का दर्शन किया है तो उसने कोई वस्तु नहीं देखी है, जिसकी रक्षा के लिए दलबंदियों की जरूरत है ।

Answer: